हनुमान और शनिदेव कैसे बने दोस्त – पूरी कहानी (Full Story)

हनुमान और शनिदेव कैसे बने दोस्त – पूरी कहानी (Full Story)

बहुत समय पहले की बात है, त्रेतायुग के दौरान, जब राम और रावण के बीच महायुद्ध चल रहा था, तभी शनिदेव को रावण ने बंदी बना लिया। शनिदेव जिस ग्रह के रूप में मशहूर हैं, उनकी ताकत और क्रोध का रावण ने अनुभव किया। वह रावण की कैद में बहुत कमजोर हो गए थे।

तभी हनुमान, श्रीराम के महान सेनानी, लंका को जलाने के लिए उठ पड़े। जब उन्होंने लंका को आग के घेरे में लपेटा, तो शनिदेव ने देखा कि लंका जल रही है और उनकी कैद के समय अवस्था बहुत निराशाजनक है। शनिदेव ने हनुमान को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए कहा।

हनुमान और शनिदेव कैसे बने दोस्त

हनुमान, अपने पवनपुत्र स्वभाव के कारण, शनिदेव की सलाह मानकर उन्हें वहां से उछालकर दूसरे सुरक्षित स्थान पर ले गए। जैसे ही शनिदेव गिरने लगे, वहीं उनका निवास स्थान बन गया। लोग उस स्थान को “शनिश्चरा” के नाम से जानते हैं।

उस दिन से ही हनुमान और शनिदेव की एक अद्वितीय मित्रता हुई। हनुमान की शक्ति और शनिदेव का ग्रहण प्रभाव आपस में मिलकर एकदूसरे को नष्ट नहीं कर पाते थे। शनिदेव के प्रकोप को कम करने के लिए लोग श्री हनुमान की आराधना करने लगे, क्योंकि उनकी कृपा से शनि का प्रभाव कम हो सकता था।

शनिदेव के और हनुमान के दोस्ती ने उन्हें एक नया मित्र प्राप्त कराया और लोगों की आस्था का केंद्र बना दिया। हर साल शनिश्चरी अमावस्या के दिन, वहां एक बहुत बड़ा मेला लगता है। इस दिन लोग तेल चढ़ाते हैं, और अपने पहने हुए कपड़े और जूते वहीं छोड़कर चले जाते हैं। मान्यता है कि इससे उनकी दरिद्रता दूर होती है और सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। लोग विश्वास करते हैं कि शनिदेव आज भी उसी स्थान पर निवास करते हैं, और हनुमान उनकी रक्षा में हमेशा तत्पर रहते हैं।

यही थी हनुमान और शनिदेव की दोस्ती की कहानी, जो उनकी मित्रता और समर्पण को प्रदर्शित करती है। इस कथा का ध्यान रखते हुए लोग अपनी आस्था और विश्वास के साथ हनुमान और शनिदेव की पूजा करते हैं, और उनकी कृपा से अपने जीवन की समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करते हैं।

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